तुम मधुर मोहक एक गीत हो
मैं तांडव का इक राग हूँ
तुम्हे कृष्ण प्रेम की मांग है
मैं क्रोधित कट्टर आग हूँ
तुम भोली-भाली हिरनी जैसी
मैं भूखा खूंखार व्याघ्र हूँ
तुम चाहो सात जन्मों का जोड़
मैं राष्ट्र धर्म का त्याग हूँ
तुम शांत निर्मल नदियों जैसी
मैं उफनते सागर की चीत्कार हूँ
तुम एक प्यारी किरण सुबह की
मैं काली डरावनी रात हूँ
हमारा दूर हो जाना ही अच्छा है
ये कड़वा है पर सच्चा है
तुम्हारी हज़ार खुशियों की बीच
मैं प्रेम नही प्रतिघात हूँ...।।।