ये  कैसी कश्मकश है जिन्दगी की

सूरज की झिलमिलाती किरणों को देख
मन में विश्वास का दीपक जलता है

कोपल पर बिखरे ओस के मोती देख
मन में ये विश्वास मोती पिरोता है

डाल पर बैठे पंछियों की कलरव देख
मन में विश्वास गीत गुनगुनाता है

सुबह के आँचल में ख़ुशियाँ देख
मन में विश्वास का बसेरा होता है

ये कैसी कश्मकश है जिन्दगी की.....
हर ओर उम्मीद भरा प्रकाश पुंज दिखता है

फिर भी  क्यूँ उम्मीद और विश्वास
घुमिल होता दिखता है
 


तारीख: 16.07.2017                                    पूजा कालरा









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