आस

ज़िन्दगी तन्हा है लगता दर्द भी तन्हा ही है, 
किसको बाटें  किसको दे दें हर ख़ुशी तन्हा ही है।
 
एक साया लग रहा है पास जैसे आ गया,
कैसे कह दें, वो है अपना सोच भी तन्हा ही है। 
 
एक तरफ तन्हाई और दूजी तरफ वो साथ है,
प्यार के एहसास एक ओर और एक तरफ बस प्यास है। 

सच है या झूठा है वो सब, कुछ न आता है समझ,
क्या कहूँ मैं इस हृदय से, तू अभी बस आस रख। 

हर तरन्नुम है जो तेरी प्यार से आकर मिली, 
क्या तरन्नुम थी वो मेरी अब नहीं आता यक़ीन। 

धड़कने चुप हैं मगर, कुछ बोलता है ये हृदय,
प्यार है तेरा ही वो, बस तू ज़रा सा धीर धर। 

ग़ुम  न हो तू इन विचारों की ढकी परछाई मे, 
ओंस भी मिलती है सुबह धुंध मे तन्हाई मे। 

अब तो हर ज़र्रा है तेरी आरज़ू को जानता, 
फ़िक्र न कर, है वो तेरा जिसे तू अपना मानता। 


तारीख: 29.06.2017                                    पूजा शहादेव









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