अभी तक जिंदगी हमें अपने ढंग से चलाती थी

अभी तक जिंदगी हमें अपने ढंग से चलाती थी 
कल रात हम ने जिंदगी को अपने ढंग से चलाया 
हुआ कुछ ऐसा की  रात भूलती नही वो 
हमें महादेव ने पूरी तरह से अपने आगोश में कर रखा था 
हम भी कुछ इस तरह से खोये हे थे की हम भी  
उन के आगोश से बाहर नही आना चाहते  थे 

वो रात मेरे जिंदगी की एक हसीं रातो में एक थी 
हमने अभी तक सिर्फ दूसरी दुनिया का नाम सुना था 
लेकिन वो रात मेरे लिए दूसरी दुनिया के जैसे ही थी 
मानो जैसे हम एक सपने में खोये हुए थे 

चाँद अपने पुरे सूरत में था 
हम बैठे बैठे चाँद का दीदार कर रहे थे 
आँखें वहा से हटने की इजाज़त नही दे रही थी 
एक वक़्त फिर ऐसा आया 
मानो चाँद हम पे मेहरबान हो गया हो और 
अपने पास बुला रहा था 

हम भी उसमे कुछ ऐसा खोये हुए थे की मन ना कर सके 
बिन गाडी बिन रेलगाडी बिन जहाज 
बस सपनो को पंख लगाये हम पल भर में 
चाँद के करीब पहुंच गए 
पास से उसकी खूबसूरती का दीदार करने का मजा की कुछ और था 

जी कर रहा था ऐसे  ही इस के साथ बैठ रहूँ 
ना छु के एहसास करूँ ना कुछ बात करूँ 
बस बैठे बैठे जी भर के दीदार करूँ 
जब तक आँखे खुद जवाब ना दे 

बैठे बैठे दीदार कर ही रहे थे की 
चाँद ने खुद बोला कहाँ खो गए हो 
कुछ पल के लिये 
हम कुछ बोल ना सके 
हम सोच ही रहे थे की 

उतने में उसने फिर पूछा 
कहाँ हैं आप ?
अचानक से हम ने जवाब दिया 
सोचा था सिर्फ दीदार करेंगे 
यहाँ आ क तो दिल लगा बैठे 
हमें खुद नही पता ये हकीकत है 
या फिर कोई सपना 

चाँद ने कहा ये तुम्हारी दुनिया का सपना है 
और हमारी दुनिया का हकीकत 
फिर क्या था तब से तो हम ने 
अपनी दुनिया ही भुला दी 
वही का हो के रह गया 

और आज तक वह से बाहर ना आ  सका 
खुश था उसकी दुनिया में मैं 
दिन में वो मुझे अपने दुनिया घूमाने ले जाती 
रात मे मैं उसकी ख़ूबसूरती का दीदार करता 
ये कोई सपना ना रहा 
ये मेरे लिए हकीकत हो गया था     


तारीख: 29.06.2017                                    रजत प्रताप









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है