जो मिला वो चाहिए नहीं
क्या चाहिए ये पता नहीं
पता अगर है मिला नहीं
मिला अगर तो बहुत नहीं
हर एक के दिल में आस है कोई
दिल में दबी टीस है कोई
इंतज़ार में है हर कोई
कभी तो ‘कल’ आएगा कोई
उखड़ा मन बिखरा सा है
जर्जर सूखे पत्ते सा है
इधर उधर बस फिरता है
जीना मुश्किल करता है..
तुझको देख सँभल जाता हूँ
तू भी हैं अकेला नही हूँ
भीड़ बनना नहीं चाहता हूँ
पर भीड़ में ही सुकून पाता हूँ…