बहुत हो चुकी मान मनौती की बातें ,
संसद के गलियारों में अब जाना है ।
बचपन से जो सपना देखा था हमने ,
साकार रूप में आज उसे अब लाना है ॥१॥
बहुत भौंक लिया पाकिस्तानी कुत्तों ने,
शेरों के संग उनको अब टकराना है ।
विगत साठ सालों में जो उस ने जख्म दिए ,
सूत समेत अब उनको ही लौटना है ॥२॥
नेताओं के खातों में जा कर देखो ,
निस-दिन भर रहा वहाँ खजाना है,
भ्रष्ट हो चुके नेताओं के हाथों से ,
भारत माँ को मुक्त हमें कराना है ॥३॥
सीने में धधक रहे रहे इन शोलों से ,
पत्थर को फिर आज हमें पिघलाना है ।
भारत माँ की अस्मत की रक्षा हेतु,
हर फूल की पत्ती को तलवार बनाना है ॥ ४ ॥