हांं मैं  नारी हूँ


कभी मां, कभी बहन, 
कभी बेटी तो कभी पत्नी
अपने हर धर्म को निभाती हूँ।
इस निर्लज संसार में 
अबला नारी कहलाती हूँ
लेकिन अब मैं अबला नहीं हूँ, 
मजबूती से साथ खड़ी हूँ
हां मैं नारी हूँ।
प्रेम की भावना है मेरे अंदर,
त्याग की ज्योति जलाती हूँ
लक्ष्मी का मैं रूप धरा पर
घर-घर में उजियारा फैलाती हूँ।
हां मैं नारी हूँ।
चूल्हा चौका से आगे बढ़कर
दुनिया में नाम कमाया है
घूंघट की जंजीर तोड़कर
सपना सचकर दिखलाया है।
कदम कदम पर साथ चलूँ मैं
जाने कितने दर्द सहूं मैं
फिर भी यूहीं मुस्कुराती हूँ
हां मैं नारी हूँ।
पहनावे पर ताना देना
समाज की बन गई परिभाषा है
क्या सही है, क्या गलत है?
समझ में इतना आता है।
इस दुर्लभ समाज में देखो
कुछ ऐसे दानव भी घूम रहेंं
बहन,बेटियों की इज्ज़त को
सरेराह नीलाम करें।
सोंच बना ली इतनी घटिया
सड़क पर चलना दूभर है।
मानवरूपी बना राक्षस
इतना क्यों तू निडर है।
नारी को कमजोर न समझो
भूलो न इतिहास पुराना
मैं लक्ष्मी हूँ ,मैंं दुर्गा हूँ
काली का अवतार हूँ मैं।
रानी लक्ष्मीबाई हूँ मैं
दुष्टों का संहार हूँ मैं।
हां मैं नारी हूँ।
लेकिन कमजोर नारी नहीं
एक मजबूत इरादे के साथ
एक नये विश्वास के साथ
हर जुल्म का जवाब दूंगी
हर दर्द का हिसाब लूंगी
हां मैं 21वीं सदी की नारी हूँ।


तारीख: 29.09.2019                                    रवि श्रीवास्तव









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