कहीं तुम परी तो नहीं
सुंदर रूप, नयन छोटे से
चेहरे पर लाली है छायी,
जुल्फों का यूं, हवा में उड़ना
जैसे काली घटा है आई।
ओठों पर मुस्कान है ऐसे
जैसे फैली हो हरियाली
देखकर तुमको होश खो बैठा
दिल से निकले बात यही
कहीं तुम परी तो नहीं।
कानों के यह सुंदर कुंडल
हाथों के कंगन खनखन खन,
मधुर स्वर के गीत सुनाते
जैसे आया हो सावन।
कुर्ती का वह रंग सुनहरा
फूलों की खुशबू का पहरा
चंदा जैसा प्यारा चेहरा
माथे की बिंदिया है कहती
कहीं तुम परी तो नहीं।
सुंदरता की मूरत जैसी
रूप की तुम्हारी है कहानी,
आसमान उतरकर आई
बनकर परियों की तुम रानी।
बढ़ रही हैंं धड़कने मेरी
खो न जाऊं यहीं कहीं
क्योंकि कहीं तुम परी तो नहीं?