कनखियों से यूँ न देखा करो

 

निकलूं जब तेरी गली से

छत पर टहलते हुए

कनखियों से यूँ न देखा करो

धड़कता है दिल

निर्लज्ज दुपट्टे को

लहरा कर यूँ न देखा करो

थम जाती सांसें भी

चोरी-चोरी चुपके-चुपके

नजरें झुकाकर यूँ न देखा करो

अनकही कोई बात

इशारों में कह दो

मगर शर्माकर यूँ न देखा करो


तारीख: 16.10.2019                                    किशन नेगी एकांत









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