खुशनसीब

खुशनसीब हो अगर, घड़ी की जगह कोई खुद जगाता  है तुम्हे..
खुशनसीब हो अगर, खुद की जगह कोई और दवा पिलाता है तुम्हे..
अगर अकेले नहीं हस्ते चुटकुलों को पढ़, 
और अगर आज भी गा कर कोई कुछ सुनाता है तुम्हे..

वक़्त फिसलता चला जाता है, चाहतों को जितना कस कर पकड़ो..
खुशनसीब हो अगर, काफ़ी है इतना ही कोई कह जाता है तुम्हे..

अक्सर पढ़ते हैं खबरें अख़बारों में, 
खुशनसीब हो अगर पढ़कर कोई सुनाता है तुम्हे..
चाय जगाती है सोते को अक्सर, 
खुशनसीब हो अगर कोई चाय के साथ कोई जगाता है तुम्हे..

अक्सर चले जाते हैं घूमने यूँही, 
खुशनसीब हो अगर घूमने घर तुम्हारे चला आता है कोई..
वैसे तो अब हर किसी की जेब में हैं तराने, 
पर खुशनसीब हो अगर अंताक्षरी में अब भी हराता है कोई..

मुस्कुरा तो देते हैं देख अंजान भी इस ज़माने में, 
खुशनसीब हो अगर सोचकर तुम्हे मुस्कुराता है कोई..
झूठ की इस दुनिया में, शामिल हम भी हैं वैसे..
पर खुशनसीब हो अगर, सच कोई एक भी बताता है तुम्हे..

ना माँगो ज़ादा इस ज़िंदगी से यारों, 
खुशनसीब हो अगर पढ़ भी लेते हो कोई खत पढ़कर नई सुनता है तुम्हे..


तारीख: 29.06.2017                                    अर्पित सूर्यवंशी









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