किनारें

क्या रखा है इन
लम्बी सैरों में
इन लम्बे किनारों पर....?
गहरे पदचिह्नों के
गर्व में
नमकीन बुलबुले
महत्ता कोई पेड़
उगा तो नहीं सकते !
न ही उनके
फूटते जोश में
समंदर
के विलाप
रह जाएँगे…
इनमें हाँ लेकिन
ए-दोस्त!
उस गहरे नीले
संदेह का प्रतिबिम्ब 
तुम्हे नज़र तो आ जाएगा-
जिनमें वह
परम अहम् 
ताँक कर
अपनी क्षणभंगुरता से
घबराने लगे......


तारीख: 18.10.2017                                    विष्णु एन कैमल









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