कोई कह दो जाके उनसे हम आ रहे हैं चल के
दीदा-ओ-दिल की बातें अब होंगी सारी खुल के
उन्हें भरम हो गया है कि सब कुछ यहाँ सही है
ज़िन्दगी आशिकों की पटरी पे आ गयी है
गुरेज़ देखने से कि मैं लहू रो रहा हूँ
घनघोर हैं घटाएं खुद कब्र खोदता हूँ
अंजाम-ए-इश्क़ सुनकर धरती ये कांपती है
अर्जी-ए-पनाह मेरी दोज़ख ने फाड़ दी है
मिसाल-ए-नसीब मेरा फ़िजाओं में गूंजता है
ताबीर-ए-ख़्वाब देखो सहरा में डूबता है
अहल-ए-मंजिल-ए-इश्क़ अब ईंट फेंकते हैं
आंहें और आंखें गलियों में टोकते हैं
सांसें हैं छोड़ दी अब बस लेता हूं नाम तेरा
होगा कभी तो तेरी अहदों का हसीं सबेरा
मैं हार जंग चुका हूं अब फैसला तेरा है
मैं शिकस्ता-ए-दीद मजनूं अब हौसला तेरा है