मैं पत्थरों का दरिया इंसान हूँ मैं कमतर
मैं किश्तों में मौत मरता ओ बेवफ़ा सितमगर
मेरे गुनाह बदतर ये मैं ही जानता हूँ
उम्मीद-ए-इनकार में अब मौत काटता हूँ
मैं तेरी हंसी का कातिल मैं जुल्म मांगता हूं
क़यामत बख्श मुझको मैं रस्म मांगता हूँ
मुझे इल्म हो गया है तू चाहती है रुखसत
मैं तेरा कूचा-ए-पा-दर वो सवाल चाहता हूँ
मैं हिज़ाब-ए-इश्क़ क़ायल मैं क़रार मांगता हूँ
घिसटती जवानी मेरी मैं इनकार मांगता हूँ