आज १ मई है,
छोटी मुन्नी आधी बासी रोटी खाकर
अपनी नन्ही गुडिया,
माँ के बक्से के नीचे छिपाकर..
मेमसाब के बर्तन मांजने गयी है...
छोटू चाय की दुकान पर,
कोयले की अंगीठी पे चाय जला रहा है..
रोज की तरह आज भी घर की रोटी
चला रहा है..
रामू बड़े बाबू के जुटे का सुख्तल्ला बना रहा है...
चुन्नू-मुन्नू कचड़े में प्लास्टिक और शीशे चुन रहे हैं..
सब के सब अपने जिंदगी के मायने बुन रहे हैं...
हाय-री सरकार
हाय! मानवाधिकार...
जनहित में जारी सन्देश...
बाल-श्रम कानूनन अपराध है...
फिर भी यह कानूनन सबकेलिए माफ़ है..