लिखी थी जो मैंने,
गजले प्यार की।
सुनी - अनसुनी थी कुछ,
कहानी मेरे यार की।
बारिश के बूंदों - सी,
मासूमियत जो है।
हंसती है ऐसे,
लगती वो जन्नत है।
ऐसा मेरा मीत है,
जिससे लगी दिल की प्रीत हैं।
ऐसा मेरा मीत है,
जिससे लगी दिल की प्रीत है।
गीतों का मैंने,
किया ऐसा श्रृंगार।
जैसे हो गले में,
हीरे - मोती का हार।
भव की अनु हैं तू,
ये बात क्या आम हैं।
छोटी सी बात है मगर,
बात बेहद खास है।
मेरे प्रीत की पहचान,
तू ही मेरा मीत है।
तेरे लिए मैंने
लिखा ये गीत हैै।
गीतों में चेहरा तेरा,
मे बनाता हूं हर शाम।
तेरी फरमाइश गर हो,
ले आऊ में माहे-तमाम।
ऐसा मेरा मीत है,
जिससे लगी दिल की प्रीत है।