मेरी हँसती खेलती ज़िन्दगी से,
तुमने क्यों ऐसा खिलवाड़ किया,
मन करता है पूछूँ तुमसे,
पर जाओ, मैंने माफ़ किया!
मेरे आशा भरे क़दमों को,
क्यों आगे बढ़ने से रोक दिया,
अब नयी मंजिलों की तलाश है,
पर जाओ, मैंने माफ़ किया!
मेरे छोटी छोटी उमीदों को,
क्यों इतना बेबस, लाचार किया
डरती हूँ, फिर उम्मीदों के जगने से,
पर जाओ, मैंने माफ़ किया!
मेरे अस्तित्व के कण कण को,
क्यों अहम की आग में झोंक दिया,
हर दिन सोचा, पूछूँ तुमसे,
पर जाओ, मैंने माफ़ किया!
मेरे मीठे मीठे सपनो को
क्यों इतना बेस्वाद किया,
आँखें सजा नहीं पाती अब सपने,
पर जाओ, मैंने माफ़ किया!
मुझसे जुड़े हर एक शख्स का,
क्यों तुमने न सम्मान किया,
वो चाहते,सबक तुम्हें सिखाऊँ,
पर जाओ, मैंने माफ़ किया!
मेरी अल्हड नादाँ खुशियों ने,
तेरे गुस्से के सामने दम तोड़ दिया,
भगवान् जरूर करेगा इन्साफ,
तुम जाओ, मैंने तुम्हे माफ़ किया!