सबको प्यार दे

आओ मिलकर ये रात संवार दे।
छोड़ दो सभी को;
जिसको चाहिए प्यार उसको प्यार दे।

जिनको जरूरत है कलम की;
उनके हाथो मे क्यों फिर हथियार दे।
जिसको चाहिए प्यार आओ उसको प्यार दे।

सोचा तो होता कभी उनके बारे मे;
जिनको कभी जरूरत थी हमारी।
आओ चलो फिर से उनके गले मे फूलो का हार दे;
जिसको चाहिए प्यार आओ उनको प्यार दे।

आओ फिर से मोह्हबत को एक नई शुरुवात दे;
चुप चुप सी दोस्ती को एक झरोखा बांट दे।
जहां सिर्फ सुगंध हो प्यार की ,दोस्ती की ;
वो उसे बहार दे।
आओ फिर से शुरुवात करे जिसको चाहिए प्यार आओ उसे प्यार दे।

कभी मुस्कुराने की वजह बनो तो;
कभी आंशुओं की तरह बिखर जाओ।
इतनी शैतानी करो की वो खुद आकर बोले,
अब तो सुधर जाओ। 
ऐसी खुशी को क्यों न झंकार दे;
जिसको चाहिए प्यार आओ उसे प्यार दे।

खुदा की जरूरत किसको है अब।
अब लोग खुद बहार बन गए है।
जिसको जरूरत है प्यार की वो प्यार बन गए है।
लव जिहाद तो अफवाह सी लगती है अब यहाँ।
अब कौन है जो ये इल्ज़ाम  स्वीकार दे।

किसको चाहिए प्यार और किसको प्यार दे।
जरूरत है अब खुशियो की ।
आओ अब एक सावन की पहली फुहार दे।
आओ चलो जिसको प्यार चाहिए उसको प्यार दे।

अब गिरी भी अकेला है; आओ उसको भी अधिकार दे।
गिर न जाये कहीं अपनी ही नज़रो से,
आओ उसको भी प्यार दे।।


तारीख: 20.06.2017                                    गिरीश राम आर्य









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