सच्ची दिवाली

हर गरीब के हाथों में जब
भोजन की थाली होगी
हर बच्चे के हाथों में जब
तख्ती ओर ताली होगी 
हर बच्ची का हक
सुरक्षा ओर रखवाली  होगी
तब मेरे देश मे दोस्तो
सच मे दिवाली होगी

कूड़े ओर गन्दगी से जब
हर गली खाली होगी
जात धर्म की बातों पर जब
न देश मे बदहाली होगी
हक समता ओर अहिंसा 
दिल मे सबने पाली होगी।
तब मेरे देश मे दोस्तो
सच में दिवाली होगी।

तेरा मेरा न होगा विजया
न ही मुँह में गाली होगी
परम्परा देश हित मर मिटने की
जन जन ने सम्भाली होगी
जागेगा जब तुम युवा भारत
देश में तब खुशहाली होगी
तब मेरे देश मे दोस्तो
सच मे दिवाली होगी।


तारीख: 03.11.2017                                    विजयलक्ष्मी जांगिड़









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