तलाश

तेरे वजूद के इंकार की हिम्मत नहीं मुझमें 

अपनी रूह जिस्म तेरा तलाश करता हूँ ।।

 

हाँ तू बाग़ी-ए-जन्नत की कारीगरी है मगर 

अक़्स तेरे हुस्न का हर हूर में तलाश करता हूँ।।

 

तेरी आवाज़ में वो कशिश ए रुहानि है के 

करवटों में तेरे मैन के, दिल अपना तलाश करता हूँ ।।

 

तेरी चाह पे तो हर चाह क़ुर्बान है साक़ी 

हर फ़रियाद पे तेरी मैं, मौत तलाश करता हूँ ।।

 

तबस्सुम तेरी वजह-ए-ज़िंदगी है साक़ी 

हर फ़रियाद पे तेरी मैं, मौत तलाश करता हूँ।। 

 

इल्म मेरा गर मुफ़ीद नहीं तेरे तो 

हर जाहिल की चीख़ में, अपनी आवाज़ तलाश करता हूँ।।

 

देख एक मरतबा इधर भी इन सूरमयी आँखों से 

आशिक़ों के क़तार में तेरे, ज़िंदगी अपनी तलाश करता हूँ।।

 

पता है मुझे क़िस्मत में नहीं अब तक तू मेरे 

बस, अपने रब की अब इनायत तलाश करता हूँ।।

 

तेरा हिस्सा मेरी ज़िंदगी में लिखा है ज़रूर 

बस कातिब के कलम की मक़सद तलाश करता हूँ।।

 

जिस दिन देख ले तू क़बूलियत के चश्मे से हमें 

फिर जीने की कोई और ना मैं, वजह तलाश करता हूँ।।

 

तेरी फ़रिश्तों की सी मस्ती देखने के बाद 

हर हरकत में क़ुदरत की तुझे तलाश करता हूँ ।।

 

तेरा साथ का बस यही सबूत है साक़ी 

वक़्त ठहर जाए बस, तरीका तलाश करता हूँ ।।

 

जवानि की रवानी में मकासिद तो बहुत थे मगर

अब हर मक़सद के अंत में, तुझे तलाश करता हूँ।।

 

तू शिफ़ा है मेरे हर मर्ज़ की मगर 

हर दिन बीमारी की गुंजाइश तलाश करता हूँ।।

 

 ये ख़ता है इन नज़रों की, के हद में ना रहीं 

अब हर ख़लक -ए-ख़ुद में, तूझे तलाश करता हूँ।। 

 

तेरे दामन के सायं की हसरत थी हमें 

बस धूप की आस तलाश करता हूँ।। 

 

हाँ मैंने जुर्म किया, हूँ मुजरिम तेरी अदालत का 

सज़ा अपनी, कलम तेरी तलाश करता हूँ ।। 

 

बेशक ख़ुशक़िस्मत है तुझे पाने वाला 

हिस्सा नहीं,रज़ा तेरी तलाश करता हूँ।। 

 

हर मैदान-ए-जंग में फ़तह का स्वाद था अब तक 

अब बस फ़तह-ए-इश्क़ की गुंजाइश तलाश करता हूँ।।

 

तू ज़िल्लत भी देदे पीने को अगर 

इस हिकमत में भी किसमत तलाश करता हूँ।।

 

तू समन्दर है अनंत अथाह वृहद शांत सी 

अपनी बस एक बूँद मैं तुझमें तलाश करता हूँ ।।

 

ख़ुश क़िस्मत वो नहीं जो पा ले तुझे 

हर जुदाई में तेरी मैं, नज़दीकी अपनी तलाश करता हूँ।।

 

तुझे पाने की हसरत तो काइयों में है मगर 

अपनी गुंजाइश की वजह तलाश करता हूँ।।

 

हर अम्र की मेरे मंज़िल तू है 

तुझ ओर जाते रास्ते तलाश करता हूँ।।

 

हर चिड़िया की चहक में 

हर फूल की महक में 

हर दरिया के रवानी में 

हर ज़िंदगी की जवानी में 

हर आवाज़ के खनक में 

हर जाँबाज़ की सनक में 

हर निगा की आँख में 

हर आगाह की झाँक में 

हर अफ़सोस की कोशिश में 

हर क़ुदरत के साज़िश में 

हर झलक की काविश में 

हर क़िस्मत की राविश में 

 

हाँ 

मैं बस 

सिर्फ़ तुझे 

तलाश 

करता हूँ।।


तारीख: 21.07.2017                                    सैय्यद अब्दाल (साक़ी)









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