मेरी हर बात में तेरी....हिस्सेदारी है।
मैं हूं तारा गगन का...चांदनी तू प्यारी है.....
मेरी हर बात में तेरी....हिस्सेदारी है।।
मेरा हर एक हर्फ़ तेरी...बात करता है।
मेरा हर लफ्ज़ तेरे नाम से निखरता है।
तेरी तारीफ में अब और क्या कसीदे पढूं...
मेरा पल पल तेरी उल्फ़त में ही गुजरता है।
यूं तो हर एक ज़बां की है,तालीम मुझे....
मेरी उर्दू तेरे ही इश्क़ ने संवारी है....
मेरी हर बात में तेरी....हिस्सेदारी है।।
थोड़ा आधा सा अधूरा सा...एक मैं पल हूं।
तुम्हें जो देख लूं जी भर तो...फिर मुकम्मल हूं।
पूछो क्यूं कैसे कहां कितना...तुमको मांगा है....
तेरे कितने भी हों सवाल...मगर मैं हल हूं।
तुमसे शब भर करी हैं बातें, ख़्वाब में इतनी....
सोने के बावजूद आंखो में खुमारी है....
मेरी हर बात में तेरी....हिस्सेदारी है।।