आज उसके पास एक मुसकाता तिरंगा देखा है ,
जो लहराता हुआ खुश है बहुत आजादी से
वो नन्हे हाँथ जो उसे थामे हैं||
धुले तो नहीं हैं, मगर हैं साफ़ बहुत खादी से
वो बिना चप्पल की फटी इंडियो से सड़क पे
तिरंगा पकडे हुए जा रहा हैं,
तिरंगा शान से चौंड़ा है यूँ की
वो आज किसी भ्रष्ट गाड़ी में नही लहरा रहा हैं,
स्कूल और ऑफिस से मिली छुट्टी को मानाने में मशगूल
इस सुनसान भीड़ में,
तिरंगे को ये फटेहाल मैला स बदन ही सबसे
ज्यादा अपना लग रहा है
जो इस जगमगाते अँधेरे में उसे थामे हुए
शोर के जंगलो में भग रहा हैं,
वो क्या जाने ये बहरा देश उसकी बात को अब
सुन नहीं पायेगा
और वो आज फिर तिरंगे के संग
भूखा ही रह जायेगा
हार कर वो तिरंगे को सीने से लगा
ज़मी पे हमेशा क लिए सो गया
तिरंगे की आँख में आंसू थे पर
तिरंगा इस शहादत से थोडा और ऊंचा हो गया