तुम ही तुम हो

उम्र की की हर दहलीज़ पर
दिल कहें तुम ही तुम हो
मेरी दिले ख्वाहिशों की नज़र
हर नज़र मेहरबां तुम ही तुम हो
ए रब जिंदगी के हर मोड़ पर
मेरे साथ हमनशीं तुम ही तुम हो
लिखूं कुछ तो मेरे अल्फ़ाज़ पर
हर नज़्म ग़ज़ल साज तुम हो
आख़री साँस या कहूँ उम्र भर
हाथों में हाथ, तुम ही तुम हो
मेरे अज़ीज़ हर लम्हें तराश कर
दिले एहसास तुम ही तुम हो
मायने तुम जिंदगी के इस कदर
ख़ुशी का पैगाम तुम ही तुम हो
रौनकें आप ही होंगी मयस्सर
मेरे हमसफ़र जो साथ तुम हो
तुम्हें पाना एहसान-ए मुक़द्दर
ख़ुदाया जिंदगी तुम ही तुम हो
उम्र की की हर दहलीज़ पर
दिल कहें तुम ही तुम हो


तारीख: 20.10.2019                                    नीरज सक्सेना









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है