वही मैं हूँ, वही उदासी है
ज़मीन ख्वाबों की अभी भी प्यासी है
जो गले मुस्कुरा के लगती थी कभी
वो हवा आजकल क्यों रुआँसी है
वही मैं हूँ, वही उदासी है
ये मोहब्बत की तो नहीं लगती
तुमने तस्वीर जो तराशी है
वही मैं हूँ, वही उदासी है
मनाओ जश्न चाँद निकला है
आज हर घर में जो पूर्णमासी है
वही मैं हूँ, वही उदासी है
किसी से मेल ही नहीं खाती
अपनी आदत ये जुदा जुदा सी है
वही मैं हूँ, वही उदासी है
सियासत को ही खेल मत कहिये
यहाँ हर खेल ही सियासी है
वही मैं हूँ, वही उदासी है।