ये प्रेम किनारा है

मैं चाहता हूं
सिर्फ मैं तुमको चाहूं
तुम मत चाहो मुझे
मैं नदी हूं
मुझे बहने दो
अपनी धुन में
गिरने दो पहाड़ों से
निर्जन वादियों में
ये प्रेम किनारा है
तुम समुंदर हो
तुमसे मिलकर
खो जाऊंगा मैं
खो जाएगा उफान मेरा
मरा हुआ सा
शांत हो जाऊंगा मैं
अत: मैं चाहता हूं
मैं बस चाहूं तुमको
तुम मत चाहो मुझे ।


तारीख: 25.01.2020                                    आलोक









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