ज़ुम्बिश

 

कैसी यह जुम्बिश है
सफर-ए रहगुज़र में
एक पाक सा एहसास
जरर्रे जर्रे में नीलाम हुआ है.....!

बा-खुदा इश्क़ पहचान था
एक नूर-ए-खुदाई की 
तो कैसे कतरा कतरा
वो अपनी सौफ़ियात से
फ़िरा है ..................!
 
 


तारीख: 22.03.2018                                    मनीषा गुप्ता









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