मन और दिमाग की समझ

कुछ मन में था, कुछ दिमाग में,
क्या सही, क्या गलत समझ के पार था ।
मन और दिमाग को कौन समझाए,
फैसला लेना बस में न था ।


मन की आशा, दिमाग का सच कैसे ठुकराए,
एक नतीजे पर कैसे आए ।
रास्ता ढूंढना आसान न था,
न दोस्त था, न यार था,
नतीजा चुननें कोई साथ न था ।।
 


तारीख: 20.10.2017                                    प्रेरणा सेठ









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