बेशुमार कांटे इस डगर

सहज नहीं मंज़िल

सुगम नहीं सफर

सुलभ नहीं साधन

मगर रुकना नहीं कर्मपथ पर

चलना है निरंतर

बढ़ना है अविरल

प्रयास कर सतत

मगर डिगना नहीं अग्निपथ पर

होना नहीं उदास

होना नहीं निराश

होना नहीं हताश

परचम फहराएगा विजयपथ पर


तारीख: 29.09.2019                                    किशन नेगी एकांत









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