बरसात में आँसू

काश, इन बरसाती बूंदों के भी होते कुछ रंग 
बारिश में आंख का आंसू गुमशुदा नहीं होता

घटाऐं घुमङ कर, ढक तो लेती हैं आफताब
हुस्न-ऐ-यार का साया पर यूं जूदा नहीं होता

ऐ अदीब, मर्ज-ऐ-मोहब्बत में है फिर सीलन
ये मेह, किसी बुर्के में क्यूं पोशिदा नहीं होता

हुऐ होंगे, तेरी वफा के चर्चे कहीं किसी रोज
सूखे चौमासों में किनारों का रुतबा नहीं होता

ये बूंदाबांदी है अब नाकाबिल, भिगोने में हमें 
महंगे पेशवाज पर, हर कोई फिदा नहीं होता

जा मेरे यार जा, देख ली हमने तेरी ग़ज़न्फ़री
बस खुदा कह देने से ही कोई खुदा नहीं होता


तारीख: 11.06.2017                                    उत्तम दिनोदिया




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