हुनर  आया  है मेरी  शायरी  में

पड़ा जबसे मैं यारों मुफलिसी में
हुनर  आया  है मेरी  शायरी  में ।

नहीं गर प्यार मुझसे ये हमनशी
रखा  क्यू  फूल मेरा  डायरी में ।

ख़ुशी से कर लिया स्वीकार मैंने 
मिला जो भी मुझे इस ज़िन्दगी में ।

रहा जिससे था अब तक दूर मैं जो 
मिला वो भी  खुदा की बंदगी में ।

हज़ारों गम है पाले वो जिगर में
कोई तो राज है उसकी हँसी में ।

हया आँखों में और तबस्सुम तेरा 
रिशू भी है लुटा इस सादगी  में ।


तारीख: 15.06.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु









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