ज़िन्दगी की डगर थोड़ी आसान कर
वक़्त पर सारे कर्ज़ों का भुगतान कर
चाहता है अगर तुझको जन्नत मिले
काम नेकी का भी रोज़ इंसान कर
सर झुकाकर हमेशा तू आ सामने
अपने माँ-बाप को अपना भगवान कर
बस रहा है खुदा हर तरफ़ हर कहीं
जीव-जंतु को भी मत परेशान कर
नेकियाँ ही ‘पवन’ पीछे रह जाएँगी
थोड़ा-थोड़ा सही तू मगर दान कर