क्यों उदास हो

अब जब खमोश हूँ तो क्यों उदास हो
जो तेरे पास हूँ तो क्यों उदास हो

तुमने चाहा था जो अब हुआ है वही
तुम यहाँ में वहाँ तो क्यों उदास हो

झूठ मैं ये कहूँ याद आती नही
सच पता है तुम्हें तो क्यों उदास हो

जियो जिदंगी गर हो जीने गये
मिल गई है जो मंजिल तो क्यों उदास हो

तुम तो पहले से ही "राम" बेचैन थे
जब लुट गया चैन तो क्यों उदास हो


तारीख: 15.06.2017                                    रामकृष्ण शर्मा बेचैन









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