मेरे मुल्क का मौसम खुशगवार नही है

मेरे मुल्क का मौसम खुशगवार नही है
यहाँ आदमी को आदमी से प्यार नही है ।
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दो निवाले को लेते जान बेजुबान की
क्या तुमको खुदपर धिक्कार नही है ।
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घर वाले कहते कर ले बेटा शादी
पर मेरा अभी कोई विचार नही है ।
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सब है अपने अपने हुनर के मालिक
आदमी कोई भी यहाँ बेकार नही है ।
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लोगों के दिलों में हो जिन्दा ग़ालिब
तुम जैसा कोई यहाँ फनकार नही है ।
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मेरा नाम जुड़ा उससे है बेशक
मुझको भी इससे इनकार नही है ।
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सिसकियां क्यू लेती हो मेरे नाम का 
गर मुझसे तेरा कोई इज़्तिरार नही है ।
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सबके दिलों पर राज़ करना जानता हूँ
मिट जाए रिशु का वो किरदार नही है ।


तारीख: 15.06.2017                                    ऋषभ शर्मा रिशु









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