तुम्हारे इंतज़ार में आँखें पत्थर हो गई है
चले भी आओ जो ख़बर हो गई है
एक तेरा ख़याल सारी रात जागता रहा
अब जो आँख लगी, सहर हो गई है
और यही बारिशें थीं जिनके भीग जाते थे
यही बारिशें है के हर बूँद ज़हर हो गई है
मेरे बिना ख़ुश तो तुम भी नहीं होगी
मजबूरियाँ भी दोनों की मगर हो गई हैं