ये कामयाबी ये तारीफ़ सब इक ख़्वाब जैसा लगता है

ये कामयाबी ये तारीफ़ सब इक ख़्वाब जैसा लगता है,
हासिल कर लिया मैंने मकसद, जनाब ऐसा लगता है,
 
बिना उनके सहारे के कुछ भी मुमकिन नहीं था दोस्त,
खुदा ने खुद ही बना दिया था ये हिसाब ऐसा लगता है, 
 
 अपनी तरफ से, बेहतर से बेहतर, करता है, हर इंसान,
खुदा के फज़ल से ये बन गया लाजवाब,ऐसा लगता है,
 
हौले हौले, मैं, तो, चला था, ज़ानिब -ए -मंज़िल, मगर,
मिलना ही था, हर सूरत, मुझे, ख़िताब, ऐसा लगता है, 
 
ये कामयाबी ये तारीफ़, सब इक ख़्वाब जैसा लगता है,
हासिल कर लिया मैंने मकसद, जनाब, ऐसा लगता है !! 


तारीख: 17.06.2017                                    राज भंडारी









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