कोशिशें मेरी रंग लायेगी ज़रूर
सफ़र में हूँ मंजिल आयेगी ज़रूर ।
लाज़्मी है लगना ठोकर रास्तों पर
ज़िंदगी मेरी संभल जायेगी ज़रूर ।
लगेगा वक्त लोगों को अपनाने में
दावते सुखन कभी आयेगी ज़रूर ।
भले हो बाद मेरे मरने के शायद
गजलें मेरी वो गुनगुनायेगी ज़रूर ।
आज खुश है मुझे देख कर परेशां
नाकामीयां मेरी पछतायेगी ज़रूर ।