कोशिशें मेरी रंग लायेगी ज़रूर

कोशिशें मेरी रंग लायेगी ज़रूर
सफ़र में हूँ मंजिल आयेगी ज़रूर ।


लाज़्मी है लगना ठोकर रास्तों पर
ज़िंदगी मेरी संभल जायेगी ज़रूर ।


लगेगा वक्त लोगों को अपनाने में
दावते सुखन कभी आयेगी ज़रूर ।


भले हो बाद मेरे मरने के शायद
गजलें मेरी वो गुनगुनायेगी ज़रूर ।


आज खुश है मुझे देख कर परेशां
नाकामीयां मेरी पछतायेगी ज़रूर ।


तारीख: 20.03.2020                                    अजय प्रसाद









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