कुछ मुक्तक

ख्वाब सा सामने हू - ब - हू आइयें । 
बन के दिल की मेरे आरज़ू आइयें ।।
धड़कनों में कभी आएं दिल में कभी ,
आइयें जब कभी रू-ब-रू आइयें ।।

इश्क का है जो बीमार क्या कीजिये । 
अब दवा है नही बस दुआ कीजिये ।।
 तुम सितम ही करो बस रहे वास्ता , 
बेवफा बस यही इक वफ़ा कीजिये ।।

जख्म भरते नही फिर भी मैं सी रहा ।
आँख के आशुओं को भी मैं पी रहा ।। 
नींद आँखों में औ चैन दिल में नही , 
क्या कहूँ तुम बिना कैसे मैं जी रहा ।।

हक़ मिला ही नही जबकि हक़दार था ।
जीत कर भी जो हारा  मैं वो प्यार था ।।
बेवफा  वो  नही  मेरी  किस्मत क़ि मैं ,
इक  अधूरी  कहानी  का  किरदार था ।।


तारीख: 19.09.2017                                     देव मणि मिश्र









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