तुम्हारी चाहत में

कभी थी रुत जो सुहानी तुम्हारी चाहत में
हुई है ग़म की कहानी तुम्हारी चाहत में

तुम्हारे ख़त ये जो तुमने कभी लिखे मुझको
लिए फिरूँ ये निशानी तुम्हारी चाहत में

नज़र तो आओ ज़रा चाँद बनके तुम चमको
मुझे है ईद मनानी तुम्हारी चाहत में

ग़ज़ल ये जब हूँ सुनाती तो याद तुम आते
बरसता आँख से पानी तुम्हारी चाहत में

गले से मुझको लगा लो कि दिल तड़पता है
'शिखर' हुई है दिवानी तुम्हारी चाहत में

 


तारीख: 18.08.2019                                                        मनीषा शिखर






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