ये और बात है मुझ को तेरी कमी है
मगर तेरे बगैर भी ये दुनिया हसीं है ।
क्यूँ मैं शिकवा करूँ तेरी जुदाई का
तेरी खुशी में ही तो मेरी भी खुशी है ।
जब इज़हार ही नहीं तो, इकरार क्या
प्यार में दोनो तरफ़ बस खामोशी है ।
दिल की बात रही दिल में ही महफ़ूज
दोनो की अपनी-अपनी ही मज़बूरी है ।
मिलता नहीं है मुझको आराम जहां में
मौत के साये पल रही मेरी ज़िंदगी है
फ़िर न बसा इस दिल में कोई तेरे बाद
अजय शायद इसे ही कहते बंदगी है ।