आज एक नोट मरा है

 

कुछ खाली सा,  कुछ भरा- भरा है||
यारो ! आज एक नोट मरा है ||
अपने और अपनों के ही
मरने से जहां डरते थे|
आज डरने की एक और वजह है|
कुछ खाली सा ,कुछ भरा भरा है ||
यारो ! आज एक नोट मरा है ||

गरीब दंग है ,अपनी खुशी पर
अमीर बेबस है ,अपनी चुप्पी पर
मजाक उड़ाता पूंजीपति का
चाहे श्रमिक आज पंकि्त में खड़ा है ||
कुछ खाली सा,कुछ भरा -भरा है ||
यारो ! आज एक नोट मरा है ||

झूठे सपनों के साथ ,कुछ सच्चे भी होंगे |
बूढ़ो ,औरतों के साथ कु छ बच्चे भी होंगे |
कुछ समय की बात है, न हो व्यथित ||
संभालो गुस्से का जो पारा चढ़ा है||
कुछ खाली सा ,कुछ भरा -भरा है ||
यारो ! आज एक नोट मरा है ||

सरकार भी कुछ सोच रही है |
चाहे कम -ज्यादा बोल रही है|
पत्थर नहीं पर रबड़ बनी है |
जानो कोई तो सपना मन में सजा है||
कुछ खाली सा ,कुछ भरा -भरा है ||
यारो! आज एक नोट मरा है ||

माया ममता डोल गई है |
नेताओं की पोल खुली है|
दूर पारदर्शिता  का ज्वार बढ़ा है|
भ्रष्टों के मुँह पर तमाचा जड़ा है||
कुछ खाली सा ,कुछ भरा -भरा है||
यारो ! आज एक नोट मरा है||

क्यों इतना सब बोल रहे हो |
जो चाहते थे तोल रहे हो |
माना की कुछ चूक हुई है|
पर भगवान नहीं ,वह भी इंसान खड़ा है ||
कुछ खाली सा ,कुछ भरा -भरा है ||
यारो ! आज एक नोट मरा है ||
यारो ! आज एक नोट मरा है||


तारीख: 19.10.2017                                    मुक्ता शर्मा









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