है जिंदगी
तो आँखे नम भी हैं
थोड़ी खुशी थोड़ा गम भी है
समय कहां ठहरता है
वो स्वयं कहां संवरता है
फूल हैंं तो कांटे भी हैंं
मंजिल हैं तो ठोकर भी है
संभलना सबको आता है
आईना है तो हकीकत से पर्दा कैसा
मुसाफ़िर हैं तो सफर से डरना कैसा
एहसास है विस्वास है
जिंदगी ढलती शाम है
अच्छाई या बुराई का नाम है
सुबह है तो शाम भी है
कदम हैंं तो मुकाम भी है
इसलिए यकीन कर
अकेले आया था
अकेले ही जायेगा
रोम - रोम तेरा
धूल में मिल जायेगा
क्यों बनता है बन्दे तू नादान
असत्य को नहीं सत्य को अपना
फिर देख सारा जग बसेरा तेरा है
अनुभव कर, श्रद्धा रख, सब्र कर
प्रेम से प्रेम कर
प्रेम ही अमर है
प्रेम ही तेरा अंत समय "हमसफर बन
तुझे तेरी मंजिल तक पहुंचायेगा
धन सम्पत्ति के पीछे भागना छोड़
बैचेनी में रातों को जागना छोड़
सांई से प्रीत लगा ले
सांई ही तेरी आरजू को
जग में पहचान दिलायेगा