अधूरा सपना

तेरी आँखों में कहीं, खो गए हैं
जागती आँखों में, सो गए हैं।

देखकर तुझको मुझे, कुछ ऐसा लगा।
बात दिल की तुझसे, मैं कह न सका।

आसमां से जैसे ,कोई उतरी हो परी।
मेरी धड़कन में बसी, तेरी तस्वीर अधूरी।

चलती है जब तू, दिल में उठती है लहर,
रूका,रूका सा दिखे, मुझे पूरा तो शहर।

 पूरी महफिल है यहां, फिर भी बेगाने से हैं।

चांद, सूरज भी तो, तेरे दीवाने से हैं।

अपनों के बीच भी, अजनबी हो गए हैं।

तेरी आँखों में कहीं, खो गए हैं
जागती आँखों में, सो गए हैं।

बहती नदियों की लहर, तेरी तारीफ़ करें।
सुंदर चेहरे पर लाली, भौरें भी आहें भरें।

तेरा हंसना भी , मुझे जादू सा लगे।
इस जादू से भला, कोई कैसे बचें।

वो फूलों सी महक, मुझे मदहोश करे।
आंख जब खुली , मेरे सपने थे अधूरे।

फिर भी दीवाने तेरे, हो गए हैं।

तेरी आँखों में कहीं, खो गए हैं
जागती आँखों में, सो गए हैं।


तारीख: 17.03.2018                                    रवि श्रीवास्तव









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