चाँद तुम्हारे लिए प्यार का

अपनी बेताबी का शिकवा,
कभी नहीं कर पाये हम ।
चाँद तुम्हारें लिए प्यार का,
अम्बर से ले आये हम ।।

डूब गया सूरज, सागर की,
गहराई में शाम ढ़ले ।
देख तुम्हारें मूँद नयन को,
बेबस होकर आये हम ।।

सावन के कुछ गीत भ्रमर ने,
गाये तो एहसास जगा ।
तन-मन-धन सर्वस्व लुटाकर,
उनके दर से आये हम ।।

पीयूष अभी निशि और हैं बाकी,
जमकर राग सुनाए जा ।
आज मोहब्बत की महफ़िल में,
आशिक बनकर छाये हम ।।


तारीख: 10.06.2017                                    पीयूष शर्मा 'आशिक'









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