धड़कन से पूछता
जुबा नहीं होती दिल का हाल
कैसे बया करती तेरी नजदीकियां
बहारों से पूछता बिन हवाओं
कौन रखता खुश्बू का हिसाब
फूल नादाँ भोरें नादाँ
गुंजन कर किसका दे रहे संकेत
कही तुम तो नहीं निकल रही
आम के मोर और टेसू के फूल
झांक रहे टहनियों की खिड़कियों से
लगता वसंत ला रहा
तुम्हारे आने का पैगाम
धड़कन की जुबा भी गुनगुनाने लगी
इस मौसम में हर दिल की धड़कने
बयां करती है तेरी नजदीकियां
संजय वर्मा "दृष्टी '