मेरे आँगन के सन्नाटे को ,
तेरी पायल की झंकार चाहिए ;
झम-झम बरसते सावन में ,
पकौड़ी की दरकार चाहिए ।
बस इत्तू-सा प्यार चाहिए ,
बस इत्तू-सा प्यार ।
माटी के घर की चौखट को ,
वीर सपूत का दीदार चाहिए ;
मेरे नटखट चंचल मन को ,
माँ की फटकार चाहिए ।
बस इत्तू-सा प्यार चाहिए ,
बस इत्तू-सा प्यार ।
पल-पल तेरी चाहत का ,
मुझको मूलाधिकार चाहिए ;
मेरे घर की संसद को ,
बहुमत की सरकार चाहिए ।
बस इत्तू-सा प्यार चाहिए ,
बस इत्तू-सा प्यार ।
मीठी मिश्री-सी प्रियसी से ,
मीठी-मीठी तकरार चाहिए ;
थक-हारकर घर को आते ही ,
" ए जी " की पुकार चाहिए ।
बस इत्तू-सा प्यार चाहिए ,
बस इत्तू-सा प्यार ।