जो मेरे पास रहे बहुत ख़ास रहे
कभी तो ज़मीन या आकाश रहे
बिखेरते रहे बू जो मधुमास रहे
छोड़े न छूटती वो अहसास रहे
छिपाके बुराइयाँ मेरा कपास रहे
पिला दी ज़िंदगी क्या आभास रहे
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