कैसे चंद लफ्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ 

 

शब्द नए चुनकर गीत वही हर बार लिखूँ मैं
उन दो आँखों में अपना सारा संसार लिखूँ मैं
विरह की वेदना लिखूँ या मिलन की झंकार लिखूँ मैं
कैसे चंद लफ्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं…………..

उसकी देह का श्रृंगार लिखूँ या अपनी हथेली का अंगार लिखूँ मैं
साँसों का थमना लिखूँ या धड़कन की रफ़्तार लिखूँ मैं
जिस्मों का मिलना लिखूँ या रूहों की पुकार लिखूँ मैं
कैसे चंद लफ्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं…………..

उसके अधरों का चुंबन लिखूँ या अपने होठों का कंपन लिखूँ मैं
जुदाई का आलम लिखूँ या मदहोशी में तन मन लिखूँ मैं
बेताबी, बेचैनी, बेकरारी, बेखुदी, बेहोशी, ख़ामोशी
कैसे चंद लफ्ज़ों में इस दिल की सारी तड़पन लिखूँ मैं

इज़हार लिखूँ, इकरार लिखूँ, एतबार लिखूँ, इनकार लिखूँ मैं
कुछ नए अर्थों में पीर पुरानी हर बार लिखूँ मैं.........
इस दिल का उस दिल पर, उस दिल का किस दिल पर
कैसे चंद लफ्ज़ों में सारा अधिकार लिखूँ मैं.......
 


तारीख: 20.10.2017                                    दिनेश गुप्ता









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