करके सिंगार नव वर्ष

 

खुल रहीं हैं पंखुड़ियाँ 
कुसुमित हो रहा चमन ,
करके सिंगार नव वर्ष 
कर रहा है आगमन ।

आलता लगा पाँव में ,
मेहंदी रचा  हाथों में ,
खनखनाता हुआ चूड़ी 
कर रहा है आगमन ।

झूम रही नव पल्लव 
पंछी कर रहे कलरव
नव कलेवर में रवि
कर रहा है आगमन ।

आहिस्ता -आहिस्ता 
खोलता पट घूँघट के ,
पावन इस बेला में 
कर रहा है आगमन । 
 


तारीख: 17.03.2018                                    पूजा कालरा









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