खुल रहीं हैं पंखुड़ियाँ
कुसुमित हो रहा चमन ,
करके सिंगार नव वर्ष
कर रहा है आगमन ।
आलता लगा पाँव में ,
मेहंदी रचा हाथों में ,
खनखनाता हुआ चूड़ी
कर रहा है आगमन ।
झूम रही नव पल्लव
पंछी कर रहे कलरव
नव कलेवर में रवि
कर रहा है आगमन ।
आहिस्ता -आहिस्ता
खोलता पट घूँघट के ,
पावन इस बेला में
कर रहा है आगमन ।