कुछ बचा?


स्त्री जब प्रेम में होती है,
तो फलां-फलां-फलां,
लिखा गया है!
लेकिन प्रेम में छले जाने के बाद
स्त्री जब प्रेम से बाहर होती है तब ?
तब,
प्रेम से बाहर निकली स्त्री
हो जाती है वह रेगिस्तान ,
जिसमें जल का कोई सोता नहीं बचता!
स्त्री हो जाती है वह आँख ,
जिसमें कोई आँसू नहीं बचता !
स्त्री हो जाती है वह दुर्गम पर्वत ,
जिसमें कोई रास्ता नहीं बचता!
स्त्री हो जाती है वह धधकता ज्वालामुखी ,
जिसमें कोई धूआँ नहीं बचता!
स्त्री हो जाती है वह समझदार बालक,
जिसमें कोई  बचपना नहीं बचता !
स्त्री हो जाती है वह सख्त ठूंठ,
जिसपर कोई पत्ता नहीं बचता !
स्त्री हो जाती है वह उलझी कहानी ,
जिसरा कोई कथाकार नहीं बचता!
स्त्री हो जाती है वह पत्थर दिल,
जिसमें कोई मोह नहीं बचता !
स्त्री हो जाती है वह निष्प्राण देह,
जिसमें कोई जीवन नहीं बचता!
स्त्री हो जाती है वह निष्ठुर मौसम,
जिसमें कोई बाग नहीं बचता!
स्त्री हो जाती है वह सूना आँगन,
जिसमें कोई कहकहा नहीं बचता!
स्त्री हो जाती है वह नि:शब्द प्रार्थना,
जिसमें कोई ईश्वर नहीं बचता !
स्त्री हो जाती है वह अटूट रिश्ता ,
जिसमें स्वयं के सिवा ,
कोई अपना नहीं बचता!


तारीख: 06.04.2020                                    सुजाता









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