मन एक परिंदा है
ये तो रब जाने ये कब तक जिंदा है।
ये दुनिया फानी है,
जो यहाँ आया है तय उसकी रवानी है
कच्ची डोर है सांसो की,
इनका भरोसा है क्या जाने कब टूट जानी है।
जिंदगी की घड़ियां है कम,
इनका यकीन नहीं जाने कब रुक जानी है।
ये तन एक पिंजरा है,
पिंजरा टूटा तो प्राण पंछी उड जाना है।