मेरा साया

 

शब-ओ-सहर कहाँ खोया हूँ मैं रहता
हर मुलाक़ात पे यही पूछता है मेरा साया

तेरे वजूद में खो गया हूँ मैं इस कदर
के दर-ब-दर मुझे ढूंढता फिरता है मेरा साया

रह-ए-मोहब्बत में इतना गहन था अंधेरा
के मेरा साथ देने से डरता है मेरा साया

हम गुम हो गए हैं एक दूसरे में इस तरह
के पहचान ही नहीं पता हूँ मैं मेरा साया

शब-ए-विसाल को इतनी गज़ब हुई चाँदनी
के आँखें मूंद के रह गया मेरा साया

मुद्दतों बाद भी हमें साथ-साथ देखकर
आज भी शर्मा के रह जाता है मेरा साया


तारीख: 07.04.2020                                                        अजयवीर सिंह वर्मा






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